हिन्दी भाषा उद्भव और विकास Hindi Language: Prosperity and Development
आज हिन्दी एक समृद्ध भाषा है। लेकिन किसी भी भाषा को वर्तमान रूप में पहुँचने के लिए कई पड़ावों व विकास मार्गों से गुजरना पड़ता है । भाषा की विकास गति अत्यन्त मंन्द होती है। इसलिए किसी भाषा को समृद्ध होने में कई शताब्दी लग जाती हैं। इसी प्रकार हिन्दी को भी वर्तमान रूप में पहुँचने के लिए अत्यन्त दीर्घकालीन विकास पथ से गुजरना पड़ा ।
सम्पूर्ण भारत की भाषाओं का उद्भव संस्कृत से माना जाता है। भारत की इस वर्तमान भाषा को हिन्दी बनने में पाँच पीढ़ियाँ लग गई । अर्थात् हिन्दी संस्कृत की पाँचवी पीढ़ी में उद्भूत हुई ।
व्यावहारिक बोल-चाल में सदैव अत्यन्त सरल भाषा का प्रयोग होता है जिसको बोली कहते हैं। जब एक भाषा साहित्यिक रूप ग्रहण करती है तो समाज में नयी बोलियों का जन्म होता है । कालान्तर में जब उस बोली में भी साहित्यिक रचना होना प्रारम्भ हो जाता है तो वह भाषा का रूप ग्रहण कर लेती है और समाज में नयी बोली का जन्म हो जाता है। भाषा के इस विकास क्रम में सैंकड़ों वर्ष लगते हैं। इसी प्रक्रिया से नयी-नयी भाषाओं का जन्म होता है। इस प्रकार आदि से अब तक विश्व में सहस्रों भाषाओं का उद्भव हो चुका है।
संस्कृत विश्व की प्राचीनतम भाषा है और वेद विश्व के प्राचीनतम ग्रन्थ हैं। 5000 ई० पू० वेदों का रचना काल माना जाता है। वेद संस्कृत में लिखे गये थे। इसलिए आदिकालीन संस्कृत को 'वैदिक संस्कृत' कहते हैं। वैदिक संस्कृत काल में समाज में सरल संस्कृत भाषा विकसित हुई जिसको बाद में'-लौकिक संस्कृत' कहा गया । लौकिक संस्कृत काल में समाज
पाली व प्राकृत बोलियों का अभ्युदय हुआ । जब बुद्ध व महावीर के जीवन काल मे पाली प्राकृत जन भाषाओं में भी साहित्यिक ग्रन्थों का प्रणयन होने लगा तो व्यवहार में शनै शनै. / कई नयी बोलियों का उद्भव हो गया। जिनके नाम थे ब्राचड, केकय, टक्क, शौरसेनी, महाराष्ट्री, अर्धमागधी और मागधी । इन सभी बोलियों को 'अपभ्रंश' कहा जाता था । इनमें साहित्यिक रचना होने पर इन्हें 'अपभ्रंश भाषा' कहते थे । उपर्युक्त अपभ्रंश भाषाओं से ही आधुनिक भारतीय भाषाओं का जन्म हुआ। जैसे टक्क से पंजाबी. महाराष्ट्री से मराठी. शौरसेनी से गुजराती, राजस्थानी, पश्चिमी हिन्दी, पहाड़ी, अर्धमागधी से पूर्वी हिन्दी, मागधी से बिहारी बंगला, असमी, उड़िया ।
इस प्रकार 1000 ई० के आस-पास शौरसेनी, अर्ध मागधी और मागधी अपभ्रंश भाषाओं से हिन्दी का जन्म हुआ। वैदिक संस्कृत से हिन्दी तक पाँच विकास सोपान या पड़ाव स्वीकार किये जाते है जो इस प्रकार है- (1) वैदिक संस्कृत (2) लौकिक संस्कृत, (3) पाली- प्राकृत, (4) अपभ्रंश (5) हिन्दी तथा अन्य आधुनिक भारतीय भाषाएँ |
·
हिन्दी की उपभाषाएं -
हिन्दी कई उपभाषाओं का सामुहिक नाम है। एक भाषा क्षेत्र में बोली जाने वाली स्थानीय बोलियों में जब साहित्यिक रचना होने लगती है तो वह उपभाषा कहलाती है। उन उपभाषाओं में स्थानीय बोलियों का प्रत्यक्ष प्रभाव बना रहता है। जैसे ब्रज भाषा व अवधी भाषा में प्रारम्भ से ही साहित्यिक रचनाएँ शुरू हो गयी थीं लेकिन उनमें ब्रज व अवधी क्षेत्र की बोलियों का प्रभाव प्रत्यक्ष दिखाई देता है। उप भाषाएँ व्याकरण साम्य होती हैं।
स्थानीय शब्दों व उच्चारण पार्थक्य के कारण उप भाषाएँ अलग-अलग होती हैं। डा० भोला नाथ तिवाड़ी ने जार्ज ग्रियर्सन के मतानुसार हिन्दी उपभाषाओं को पाँच भागों में विभक्त किया है। अभी तक सभी विद्वान इसी विभाजन को स्वीकार करते हैं। जो इस प्रकार हैं - (1) पश्चिमी हिन्दी, (2) पूर्वी हिन्दी, (3) राजस्थानी, (4) पहाड़ी, (5) बिहारी ।
(1) पश्चिमी हिन्दी –
इसके अन्तर्गत ब्रज भाषा, खड़ी बोली, हरियाणवी या बांगरू,. कन्नोजी आदि उपभाषाएँ आती हैं। इन्हें बोली नहीं कहा जा सकता है क्योंकि इनमें प्रचुर साहित्यिक रचनाएँ हो चुकी हैं। लगभग सभी कृष्ण भक्त कवियों ने ब्रज भाषा में ही ग्रन्थों का प्रणयन किया। सूरदास रचित सूरसागर हिन्दी साहित्य का एक अनमोल ग्रन्थ है।
(2) पुर्वी हिन्दी -
(3) राजस्थानी हिन्दी -
(4) पाठी -
(5) बिहारी -
इसके अन्तर्गत तीन उपभाषाएँ आती हैं- मैथिली, भोजपुरी, मगही 'विद्यापति की पदावली' मैथिली मे रचित है।
नोट : हिन्दी की कई उप भाषाएँ हैं लेकिन सुविधा के लिए उन सभी उप भाषाओं को पाँच भागो मे बाँटा गया है। उक्त विभागों के अन्तर्गत उप भाषाएँ हैं। जैसे ब्रज व अवधी उप भाषाएँ हैं न कि बोली ।
बोली - एक सीमित क्षेत्र के अन्दर अत्यन्त सरल व सहज रूप से बोली जाने वाली भाषा के व्यावहारिक रूप को बोली कहते हैं । साहित्यिक दृष्टि से बोली को भाषा नहीं कहते हैं। प्रत्युत बोली को विभाषा भी कहते हैं। बोली सामाजिक व्यावहार में केवल बोल चाल • प्रयुक्त होती है। इसमें कोई भी साहित्यिक रचनाएँ नहीं होती हैं। वर्तमान समय में भारत में लगभग 600 बोलियाँ बोली जाती हैं।
उप भाषा व बोली में अन्तर -
खड़ी बोली -
हिन्दी के प्रमुख कवि और काव्य
कवि |
काव्य |
1. चन्दबरदाई |
पृथ्वीराज रासो |
2. विद्यापति |
विद्यापति की पदावली |
3. मलिक मुहम्मद जायसी |
पद्मावत, अखरावट, आखरी कलाम |
4. सूरदास |
सूर सागर, सूर सारावली आदि |
5. तुलसीदास |
रामचरित मानस, विनय पत्रिका आदि |
6. मीराबाई |
मीराबाई की पदावली |
7. केशवदास |
रामचन्द्रिका, कविप्रिया, रसिकप्रिया |
8. बिहारी |
बिहारी सतसई |
9. मैथिलीशरण गुप्त |
साकेत, यशोधरा, द्वापर आदि |
10. जयशंकर प्रसाद |
कामायनी, आँसू, झरना, लहर |
11. सूर्यकांत त्रिपाठी निराला |
परिमल, अनामिका, राम की शक्ति पूजा |
12. सुमित्रा नन्दन पंत |
लोकायतन, वीणा, पल्लव, ग्राम्या |
13. महादेवी वर्मा |
नीहार, रश्मि, दीपशिखा आदि |
14. रामधारी सिंह दिनकर |
कुरुक्षेत्र, उर्वशी, रेणुका, हुंकार आदि |
महत्वपूर्ण सवाल हिन्दी भाषा के उद्भव और विकास से संबंधित :-
2. आधुनिक भारतीय भाषाओं का उद्भव किन भाषाओं से हुआ ?
3. वैदिक भाषा से हिन्दी तक की यात्रा में भाषा को किन पड़ावों से गुजरना पड़ा ?
4. उपभाषा से क्या तात्पर्य है ? हिन्दी की उपभाषाओं का परिचय दीजिए ।
6. खड़ी बोली किसे कहते हैं ? आधुनिक हिन्दी पर उसके प्रभाव पर प्रकाश डालिए ?
7. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में दीजिए -
(ख) उपभाषा किसे कहते हैं ?
(ग) पश्चिमी हिन्दी के अन्तर्गत कौन-कौन सी भाषाएँ आती हैं ?
(ङ) खड़ी बोली से क्या तात्पर्य है ?
(च) उपभाषा व बोली में अन्तर स्पष्ट कीजिए ।
8. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो शब्दों में दीजिए
(क) वर्तमान समय में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा का नाम लिखिए ।
(ख) खड़ी बोली का प्रथम कवि कौन था ?
(ग) अवधी भाषा के प्रमुख काव्य ग्रन्थ का नाम लिखिए।
(घ) ब्रज भाषा का सुप्रसिद्ध भक्ति काव्य कौन है ?
(ङ) बिहारी भाषा क्षेत्र के दो उपभाषाओं का नाम लिखिए।
(च) पृथ्वी राज रासो किस कवि की कृति है ?
(छ) मलिक मुहम्मद जायसी की प्रमुख दो रचनाओं का नाम लिखिए ।
(ज) लोकायतन किस कवि की रचना है ?
(झ) मैथिलीशरण गुप्त की दो प्रमुख कृतियों के नाम लिखिए।
0 Comments